रहने दीजिए, कोई बात नही, फिर कभी सही,
रहने दीजिए, कोई बात नही, फिर कभी सही,
आज वफ़ा कर लेते है, जफ़ा फिर कभी सही,
बेवफाई के जिक्र क्यों करें, जब कोई वजह नही,
आज रास्तों पर चलें हैं, मंजिल फिर कभी सही,

प्यार कितना है, बेहद है या नही, ये पता नही,
अभी तो आंखों में डूबे हैं, बाहें फिर कभी सही,
इरादों की नाव अभी उस पार है या नही, ये पता नही,
खिवैया का संवेदन स्वीकार है, कोल (स्वीकरण) फिर कभी सही,
पता है कु छ भाव ऐसे हैं, जिन पर ऐतबार होता नही
प्रेम की बात ही अच्छी है, कहानी फिर कभी सही,

कवि नरेन प्रधा