शौहरत के पिंजरे में कैद होना एक वजह रही होगी,
तालियों और वाह वाही की गूंज कानो में रही होगी।
बस समाज के चार लोग और उनकी चार बातों का क्या,
होती है चाहत , हुनर दिखाने की सजा रही होगी,

कवि नरेन प्रधान