लिखी एक कहानी
वो यादें पुरानी मिटाते चलें हैं,
लिखी इक कहानी सुनाते चलें हैं,
मौके भी है और दस्तूर भी है,
इरादे भी है और भरपूर भी हैं,
वो पहली निशानी दिखाते चले हैं,
लिखी इक कहानी सुनाते चलें हैं।
बैठक में खाट और बैठा जमाना,
हुक्के की गुड़गुड़ वो बीता जमाना,
मिटी एक हस्ती बस बताते चले है,
लिखी इक कहानी सुनाते चलें हैं।

कवि नरेन प्रधान