सो जाए अब या बात करते
या जिक्र पुराने याद करते रहते हैं,
किस तरह बताए की उदासी है,
कै से कहे कि ये कै सी प्यास है,
बताओ कितनी बातों की बात करते रहते हैं,
सो जाए अब या बात करते रहते हैं,
काली रातों में उजाला नजर आया है,
कै से कहे कितनी बार सब्र आया है,
बताओ कै सी सुबह का इंतजार करते रहते हैं,
सो जाए ये अब भी बात करते रहते हैं।

कवि नरेन प्रधान